| 1. | सूर्य तप्त जल तैयार करने की विधि-
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| 2. | आसमानी रंग की किरणों से तप्त जल सभी रोगों में लाभकारी होता है।
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| 3. | इसके उत्तर में स्फटिक लिंग है जिसके पूर्व में सात पद व तीर्थ में बर्फ के बीच में तप्त जल है।
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| 4. | आसमानी रंग की किरणों से तप्त जल शरीर के लिए पौष्टिक और शरीर को रोगों से दूर रखने वाला होता है।
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| 5. | गरुड़ पुराण, शंखलिखित स्मृति आदि कुछ ग्रंथों के अनुसार यह शत योजन विस्तीर्ण, तप्त जल से भरी हुई रक्त-पूय-युक्त, मांस-कर्दम-संकुल एवं दुर्गंधपूर्ण है।
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| 6. | तप्त जल कुण्ड में बैठकर क़ुदरत की छटा निहारनी हो तो “रोतेम्बुरो” में बैठते हैं जो खुले आकाश तले बने होते हैं ।
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| 7. | सूर्य तप्त जल को तैयार करने के लिए हमेशा कांच की बोतल ही इस्तेमाल में लानी चाहिए, प्लास्टिक की बोतल का प्रयोग न करें।
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| 8. | तप्त जल कुण्ड में बैठकर क़ुदरत की छटा निहारनी हो तो “ रोतेम्बुरो ” में बैठते हैं जो खुले आकाश तले बने होते हैं ।
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| 9. | अगर कोई व्यक्ति टॉनिक के रूप में सूर्य तप्त जल को पीना चाहता है तो उस पानी को सफेद कांच की बोतल में भरकर तैयार करें।
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| 10. | हरे रंग की कांच की बोतल की सहायता से तैयार किये गये सूर्य तप्त जल से आंखों को धोने या कुछ बूंदे आखों में डालने से आंखों के रोग नष्ट हो जाते हैं।
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